30 दिन वायरस को रोकने को क्यों चाहिए

वायरस को रोकने को क्यों चाहिए 30 दिन

कोरोना के दोबारा प्रकोप पर लेकर कोई जानकारी नहीं

             कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के शीर्ष वैज्ञानिक अगले एक महीने को काफी अहम मान रहे हैं। आइसीएमआर के प्रमुख डॉ बलराम भार्गव के अनुसार अगले 30 दिन में यह तय होगा कि देश में कोरोना का असर कितना होगा। वैसे तो डॉ. भार्गव कोरोना के तीसरे स्टेज तक पहुंचने यानी वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को निश्चित मान रहे हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि अगले 30 दिन में ही तय होगा कि कोरोना के खिलाफ हमारी जंग कितनी सटीक है। वायरस के फैलने में विभिन्न स्टेज का जिक्र करते हुए डॉ. भार्गव बताते हैं कि पहले स्टेज में यह विदेश से देश के भीतर आता है। जो कोरोना के मामले में 30 जनवरी को केरल में चीन से आए तीन मरीजों के साथ शुरू हुआ। वायरस के फैलने का दूसरा स्टेज तब आता है, जब विदेश से आए कोरोना वायरस ग्रसित व्यक्ति से देश के भीतर दूसरे व्यक्तियों को इसका संक्रमण होने लगता है। यह संक्रमण ग्रसित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क आने वाले तक सीमित रहता है। आगरा के एक ही परिवार के छह लोगों और केरल में फरवरी के अंत में कुछ लोगों में इस तरह से कोरोना संक्रमण हुआ। यानी पहले स्टेज से दूसरे स्टेज तक पहुंचने में एक महीने का समय लगा।वायरस के फैलने में तीसरा स्टेज सबसे अहम होता है। जब वह सामान्य लोगों के बीच फैलने लगता है। बड़ी जनसंख्या के बीच वायरस के पहुंचने के बाद यह महामारी का रूप धारण कर लेता है, जो चौथा स्टेज कहा जाता है। कोरोना की स्थिति में भारत में स्टेज तीन यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं शुरू हुआ है। यही कारण है कि तेजी से बढ़ने के बाद भारत में कोरोना से ग्रसित मरीजों की संख्या 114 तक ही पहुंच पाई है। जबकि भारत से 17 दिन बाद यानी 15 फरवरी को कोरोना के पहले मरीज के इटली में पाए जाने के बाद वहां इसके मरीजों की संख्या 25 हजार से भी ऊपर पहुंच गई है। भार्गव के अनुसार चीन, ईरान और इटली समेत तमाम यूरोपीय देशों में यह वायरस स्टेज एक के कुछ दिनों के भीतर स्टेज तीन पर पहुंच गया। लोग जब तक कोरोना को लेकर सचेत होते और सरकारी मशीनरी इससे निपटने के लिए तैयार होती, तबतक मामला हाथ से निकल गया। इसीलिए वहां स्थिति भयावह हो गई।30 दिन अहम: दरअसल 30 दिन दो मायनों में अहम हैं। ध्यान रहे कि पिछले दो-तीन दिनों से भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या में अपेक्षाकृत तेजी दिखी है। एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे के बीच संक्रमण की गति भी अगले 25-30 दिनों में पूरी तरह दिखने लगेगी। वहीं से हमें इसकी जानकारी भी मिलेगी कि अब तक जो कदम उठाए गए हैं वह पर्याप्त थे या नहीं। दरअसल देश में बाहर से आने जाने वालों पर तो रोक है, लेकिन देश के अंदर एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन तक जांच को जरूरी नहीं बनाया गया है और इसी का फायदा उठाकर हाइलोड वायरस से ग्रसित आगरा की एक युवती ने बेंगलुरु से लेकर दिल्ली और आगरा तक की यात्र की थी। डॉ. भार्गव का कहना है कि ऐसे संक्रमण के मामले में तीसरे स्टेज को रोकना संभव नहीं है, लेकिन हमारी कोशिश है कि इसे धीमा कर दिया जाए। जितनी देर होगी उतना ही कोरोना का असर कम हो जाएगा। वहीं जांच और इलाज की सुविधाओं से लेकर आम आदमी को जागरूक बनाने में भी मदद मिलेगी। हर वायरस का एक समय चक्र होता है। चीन के वुहान में यह देखने को मिला है। इसके साथ ही जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग और सिंगापुर जैसे देश भी कोरोना के शुरुआती प्रसार के बाद उसे रोकने में सफल रहे हैं। इससे वायरस की कार्यप्रणाली को समझने में मदद मिल रही है, जो अंतत: उसे रोकने में मददगार साबित होगी। आइसीएमआर का मानना है कि कोरोना वायरस के एक साथ पूरे देश में महामारी के रूप में फैलने की आशंका कम है। आइसीएमआर की डॉक्टर निवेदिता कहती हैं कि इसका प्रचार किसी एक समुदाय या बड़े इलाके तक सीमित हो सकता है और उससे आक्रामक रणनीति के तहत निपटा जा सकता है, जैसा निपाह वायरस के मामले में हुआ था। निपाह वायरस जयपुर के आसपास के बड़े इलाके में फैल गया था और उसे वहीं रोक दिया गया। साथ ही आइसीएमआर हर व्यक्ति की कोरोना की जांच का पक्षधर नहीं है। डॉ. भार्गव के अनुसार यह न तो संभव है और न ही इसकी जरूरत है। यदि किसी व्यक्ति में कोरोना से ग्रसित होने के बाद भी उसके लक्षण नहीं दिख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उसमें वायरस बहुत ज्यादा नहीं होगा और टेस्ट में वह निगेटिव भी आ सकता है। यदि ऐसे व्यक्ति को कोरोना नहीं होने का प्रमाण-पत्र दे दिया जाए, तो वह सुरक्षित होने का वहम पाल लेगा, जबकि 14 दिन में उसमें कभी भी कोरोना के लक्षण आ सकते हैं।
           आइसीएमआर के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को एक बार होने के बाद कोरोना दोबारा होने के बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। वैसे जापान और दूसरे देशों में कुछ मामलों में दोबारा कोरोना से ग्रसित होने की बात सामने आई है। डॉ. भार्गव कहते हैं कि अभी तक हमारे पास इस कोरोना वायरस की सीमित जानकारी है। दूसरे, कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता का समय बहुत छोटा होता और उससे दोबारा ग्रसित होने की संभावना है। कोविड 19 के बारे में हम अभी यह नहीं कह सकते हैं। यदि कोविड-19 का वायरस इंफ्लुएंजा वायरस की तरह नए-नए रूप में परिवर्तित होता रहेगा, तो उसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना संभव नहीं होगा। आइसीएमआर के वैज्ञानिकों की मानें तो फिलहाल वायरस के बारे में काफी कम जानकारी है। भारतीय वैज्ञानिकों ने चीन से आए तीन मरीजों से मिले कोरोना वायरस की कुंडली तैयार कर ली है, जो 99.99 फीसद वुहान के वायरस से मिलती है। यही नहीं, एक ही मरीज के अलग-अलग लिए सैंपल में वायरस में अलग-अलग लक्षण दिखे हैं, जो वायरस के तेजी से अपना रंग-रूप बदलने का सबूत है। मार्च के पहले हफ्ते में इटली से आए वायरस का सैंपल मिला है। जल्द ही इसकी कुंडली भी तैयार हो जाएगी, जिसके बाद कोरोना के वायरस के बारे में भारतीय वैज्ञानिकों के पास अधिक पुख्ता जानकारी होगी।

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