जब जागो तभी सवेरा

                                       जब जागो तभी सवेरा 

                   हम अक्सर अपनी यादों में खोकर कुछ ना कुछ सोचते हैं। कभी ये एहसाह खुशनुमा होता है तो कभी ऐसा करके हमें ऐसी बातें याद आती हैं जो हमें अपराधबोध भी कराती है। कभी ऐसा भी होता है कि हम पीछे के छूट चुके कुछ मौके जो आज लगता हो कि हमें जीवन की ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं के बारे में सोचकर पछतावा करते हैं। सोचते हैं कि काश हमने उस समय पर ये कर लिया होता तो आज ऐसा हो जाता वैसा हो जाता। ऐसा करते हुए हम समझ नहीं पाते की हम अपनी ऊर्जा और समय दोनों व्यर्थ गवां  रहे होते हैं। ऐसा करने के बजाय हमें हम अभी क्या कर  सकते हैं ये सोचना चाहिए और फिर अपने ढृढ़ निश्चय और विश्वास से काम में लग जाना चाहिए।  हम अपनी इच्छा शक्ति और परिश्रम के बल पर परिस्थितियों को बेहतर कर  सकते हैं। ईश्वर में और स्वयं में भरोसा रखकर आगे बढ़ना चाहिए। 
                  पूर्व में क्या अवसर हमने गवां दिए की चिंता में समय गँवाने से अच्छा है की हम अभी से क्या कर  सकते हैं इसका विचार करना। हमने कई ऐसे उदाहरण सुने और देखे हैं की उम्र के अलग अलग पड़ाव में लोगों ने काम शुरू किये और सफलता पायी है।अगर कोई और कर सकता है तो आप क्यों नहीं ! विश्वास और ईमादारी  से आगे बढिये सफलता आपके कदम अवश्य चूमेगी। 

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