तुलना दूसरों से नहीं स्वयं से करें

                        तुलना दूसरों से नहीं स्वयं से करें

        प्रायः व्यक्ति स्वयं की दुसरो से तुलना करना शुरू कर देते है। इस तरह से हम दुसरो की तुलना में खुद को कमतर आंक रहे होते हैं। हम खुद से खुद को कमजोर साबित करने में लगे होते हैं।  
    लेकिन क्या कभी आपने सोचा है की हर किसी की अपनी अपनी प्रतिभा (Talent) होती है। लेकिन कोई अपने इस हुनर को निखार लेता है तो कोई जिन्दगी की आपाधापी में भीड़ की तरह इस दुनिया में खो जाता है। 
    जो अपनी प्रतिभा को पहचान लेते है और लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ते चले जाते हैं, निरंतर प्रयास करते हैं तो फिर सफलता भी उन्हें मिलती है। 
   आवश्यक है हमें स्वयं में सकारात्मक परिवर्तन लाने की और इस सुधार को निरंतर जारी रखने की। हम स्वयं में बेहतर हो रहे हैं या नहीं इसकी सही समझ हमें तभी मिलती है जब हम स्वयं की तुलना स्वयं से करते हैं। अगर हम यह देखें  की हम कल क्या थे और आज उससे कितने बेहतर हुए हैं तो हमें अपने में हुए परिवर्तन का अनुमान होता है। एक कदम ही सही परन्तु लगातार हमें बेहतर व्यक्तित्व की ओर  बढ़ना आवश्यक है फिर आपका आत्मविश्वास मज़बूत होता है जो सफलता की महत्वपूर्ण कुंजी है। ऐसा करते हुए आप धीरे धीरे उन गुणों को अपनाते चले जाते हैं जो आपको आपकी मंजिल तक पहुँचाने में सहायक और आवश्यक हैं। इस तरह से आप सफलता की सीढ़ी  चढ़ते उस शिखर तक पहुँच सकते हैं जिनके सपने आपने आपके अपनों ने देखे होंगे। 

तो देर किस बात की सफल आपको बनना है तो प्रयास  भी आपको ही करना है तो सफलता जरुर मिलेगी कोशिश तो करिए …

कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता ,
तबियत से एक पत्थर तो उछालो यारों।

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