भारत में गाड़ियों की लाइट अब दिन में भी क्यों जलती रहती है ?
सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के आकलन के अनुसार हर साल लगभग 5 लाख सड़क दुर्घटना होती है जिसमे लगभग 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है जबकि लगभग 3 लाख लोग घायल होते हैं। इन दुर्घटनाओं के कारण देश की जीडीपी का लगभग 2% का नुकसान होता है। ऐसे में सरकार ने सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए दिन में भी वाहनों की लाइट जलते (Daytime Running Light) रहने का आदेश दिया है।
आंकड़ों के हिसाब से सबसे अधिक दुर्घटना दो पहिया वाहनों की (लगभग 33.8 प्रतिशत ) होती है। सबसे अधिक मरने वालों की संख्या भी (लगभग 35 प्रतिशत ) दो पहिया वाहनों के सवार या चालकों की होती है। सरकार इन दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए हर मुमकिन उपाय करना चाहती है। इस कड़ी में अब नया सड़क एवं परिवहन कानून भी लागू हो चुका है। इन्ही में से एक कदम है दिन में भी वाहनों की लाइट जलना।
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में अधिक प्रदूषण के कारण BS-3 (Bharat Stage Emission Standard) वाहनों की बिक्री पर रोक लगा दिया था। इसके पश्चात BS – 3 वाहनों के उत्पादन और बिक्री बंद हो गयी। अब कम्पनियाँ केवल BS -4 कटेगरी के वाहनों का ही उत्पादन और बिक्री करने लगी।
BS-4 वाहनों का नया फीचर है की इसमें इंजन के चालू होते ही वाहन की हेड लाइट भी जल जाती है और इंजन के चालू रहने तक यह ऑन ही रहती है। वाहन चालक चाहकर भी इसको ऑफ नहीं कर सकते इसमें ऑन ऑफ का कोई स्विच नहीं होता है।
दिन में लाइट जलते रहने के लाभ :
दिन में हेड लाइट जलते रहने का फायदा यह है की धूल ,बारिश घने कोहरे आदि की स्थिति में जब दृश्यता कम हो जाती है तब वाहन चालक दूर से आती गाड़ियों को आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा सामान्य समय में भी सामने से आ रही गाड़ियों की लाइट चमकने पर चालक सतर्क हो सकते हैं और दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है।
गाड़ियों में दिन के समय भी हेड लाइट जलाने का नियम के यूरोपीय देशों में पहले से ही लागू है जिससे वहाँ वाहन दुर्घटनाएं कम होती हैं।
भारत में यह नियम 1 अप्रैल 2017 से लागू है। इसे ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा लागू किया गया है सामान्य नागरिक के लिए कोई सरकारी आदेश जारी नहीं किया गया है। यदि यह नियम आम जनता के लिए लागू किया जाता है तो पुराने मॉडल गाड़ियों की लाइट दिन में भी लोगों को मैन्युअली ऑन करके रखना होगा। परन्तु अभी ऐसा नहीं है आगे सरकार क्या निर्णय लेती है देखने की बात है।
यूरोपीय देशो में यह Daytime Running Light (DRL) Rule 2003 से ही लागू है।
देशों के नाम जहाँ यह नियम पहले से लागू हैं :
अमेरिका
ब्रिटेन
कनाडा
इटली
हंगरी
बुल्गारिया
कोसोवो
लाटविया
लिथुआनिया
रोमानिया
एस्टोनिया
चेक गणराज्य
मैसेडोनिया
पोलैंड
मॉन्टेंगरो